बाइसवें दिन की यात्रा कालीमाता मंदिर दर्शन : 09.08.2008

09.08.2008 श्रावण सुदी 8 शुक्रवार


Photobucketप्रातः 7.00 बजे मेरी नींद खुली, बिना स्नान किए तैयार हुआ। तकलाकोट से वापसी के बाद लगेज (सामान) को पुनः पैक किया। इसी बीच 7.45 बजे नाश्ता में पुड़ी सब्जी दिया गया, तत्पश्चात बोर्नबिटा पिया/उसके बाद सभी यात्री प्रातः 8.00 बजे गुंजी के लिए रवाना हुए। वापसी के दौरान भी प्रायः सभी यात्री कालीमाता मंदिर दर्शन हेतु गए। वहां से काली नदी का जल लिया एवं ‘‘ओम नमः शिवाय‘‘ के उद्घोष के साथ पैदल रवाना हुए। काली नदी में बने लोहे के पुल के पास ही एक व्यक्ति को भोज पत्र बेचते देखा गया, मैं वहां रूककर 20.00 रू. में भोजपत्र खरीदा, मेरे अलावा भी कई यात्री भोजपत्र खरीदें तथा यह भी जानकारी दिए कि गुंजी में भोजपत्र अच्छा मिलता है। कुछ दूर पैदल चलने के बाद घोड़े से आगे की यात्रा जारी किया। कालापानी से गुंजी की दूरी भी कम है तथा रास्ता अपेक्षाकृत ज्यादा दुर्गम नही होने के कारण 11.00 बजे ही मैं गुंजी के आईटीबीपी कैम्प पहुंच गया। मेरे से पहले लाइजनिंग आफिसर श्री हरन एवं एक अन्य यात्री वहां पहुंचे थे। उन्ही के साथ थोड़ी देर बैठा एवं वही चिप्स व चाय लिया उसके पश्चात यात्री कैम्प में गया। वहां पहुंचकर उसी डोम (कैम्प) में रूका जिसमें यात्रा में जाते समय रूके थे। वहां पहुंचकर सभी को रसना दिया गया। दोपहर 12.30 बजे लंच दिया गया। दोपहर भोजन में आज चांवल, दाल, पालक व मूली का रायता दिया गया।


आदि कैलाश जाने वाले यात्री भी आज गूंजी कैम्प में पहुंचे इसलिए भीड़ कुछ अधिक हो गई जिसके कारण एक-एक डोम में 10-12 यात्री को रूकवाया गया। कैम्प में जिस पाईप के माध्यम से पानी आपूर्ति की जा रही थी वह भी आज बंद था जिसका कारण बताया गया कि जिस पहाड़ी से झरने से पाईप लगाकर पानी लाया जा रहा है वहां पर चट्टान गिरने से पाईप क्षतिग्रस्त हो गया है।

Photobucketहमारे साथ के जिन यात्रियों का सामान कैलाश परिक्रमा के लिए जाते समय गुंजी कैम्प नही पहुंच पाया था। उनमें से 4 यात्रियों के सामान मिलने की जानकारी हुई कुमाऊ मण्डल विकास निगम के द्वारा उन्हें आज दिया गया। शेष दो यात्रियों का सामान अभी तक भी नही मिल सकने की सूचना दी गई। जिन यात्रियों का सामान मिला था उसे उनके द्वारा खोला गया, लगेज के भीतर पानी चले जाने से कपड़े एवं अन्य सामान भीगें हुए थे जिसे उनके द्वारा धूप में फैलाकर सुखाया गया।

सायं 4.30 बजे चाय के समय डायनिंग हाल में यात्रा के फीड बैंक मीटिंग हुई। सभी यात्रियों के द्वारा अपने-अपने अनुभव एवं विचार कैलाश मानसरोवर यात्रा एवं उसके व्यवस्था के सम्बन्ध में राय व्यक्त किया गया। उक्त बैठक में मेरे द्वारा राय व्यक्त किया गया कि कैलाश मानसरोवर यात्रा के सम्बन्ध और ज्यादा प्रचार-प्रसार विशेषकर छत्तीसगढ़ जैसे नवोदित राज्य में करने की आवश्यकता प्रतिपादित किया गया। क्योंकि 2008 के वर्तमान यात्रा के सम्बन्ध में मात्र एक दिन राज्य के स्थानीय समाचार पत्र में विज्ञापन प्रकाशित हुआ है। जिसके कारण इसकी जानकारी अधिक लोगों को नही हो पाई। 6.00 बजे आईटीबीपी कैम्प स्थित मंदिर में भजन एवं आरती उपरान्त प्रसाद वितरण किया गया तथा सभी यात्रियों को आईटीबीपी के मोनो वाली प्रतीक चिन्ह प्रदान की गई। रात्रि डिनर में चांवल, दाल, सब्जी एवं सेवई (मीठा) दिया गया। प्रकाश व्यवस्था जनरेटर द्वारा किया जा रहा था। इसलिए 9.30 बजे रात तक ही प्रकाश व्यवस्था किया गया।


क्रमश: .....

डी.पी.तिवारी
रायपुर

1 comment:

  1. अच्छा यात्रा संस्मरण है।आभार।

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