19.07.2008 शनिवार (श्रावण बदी 1)


हमारे बैच मे दिल्ली से ही पांच यात्री शामिल थे, वे भी अपने परिवार के साथ पहुंच गए। यात्री दल के साथ जाने वाले लाइजनिंग आफिसर श्री ओ.पी. हरन भी 5.00 बजे पंहुचे। सभी कैलाश यात्री गुजराती सदन के बाहर एकत्रित हुए, उसी समय दिल्ली के समाज सेवी संस्था के पदाधिकारी गण वहां पहुचे। उनके द्वारा सभी यात्रियों का तिलक लगाकर स्वागत एवं रूद्राक्ष माला व रामनामी दुपट्टा गले में डालकर ''ओम नम: शिवाय'' उद्धोष के साथ बिदाई दी गई। पूजन सामग्री पर्सनुमा बैग में पैक कर, दी गयी थी। ठीक प्रात: 6.00 बजे हमारी बस प्रस्थान के लिए तैयार थी, यात्रीगण ''ओम नम: शिवाय, हर-हर महादेव, जय भोले'' का उद्धोष कर बस में सवार होने लगें। मुझे बिदाई देने के लिए साथ में दिल्ली तक गए लोगों की ऑखे डबडबा गई। भूतभावन भगवान शिव से समस्त पारिवारिकजनों के मंगल कामनाओं की भावनाएं और अपने जीवन की इस अविस्मरणीय एवं पुण्यफलदायी यात्रा का सुख संजोकर, अंतत: इनसे बिदा लेकर मैं भी ओम नम: शिवाय बोलकर बस में सवार हो गया। प्रात: 6.15 बजे हमारी बस कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए दिल्ली से रवाना हुई । लगभग 8.00 बजे हम लोग गाजियाबाद पहुंचे, मुख्य सड़क से लगे हुए एक भवन के पास बस रूकी वहॉ पर गाजियाबाद शिव कांवड़ समिति के पदाधिकारियों द्वारा यात्रियों को एक बड़े हॉल में ले जाया गया जो शिवभजन एवं आरती से गुंजायमान था।

समिति के पदाधिकारियों द्वारा सभी यात्रियों को फूलमाला एवं पीला दुपट्टा पहनाकर स्वागत किया गया तथा आरती संग्रह व भगवान भोले बाबा से सम्बन्धित कुछ धार्मिक पुस्तक दी गयी। यात्रियों के लिए वही हॉल में विभिन्न प्रकार के गरमागरम नाश्ते का इंतजाम था सभी लोगों ने अपनी-अपनी पंसद के अनुसार नाश्ता किया, चाय/काफी पी व पुन: 9.30 बजे यात्रा पर रवाना हुए। यद्यपि हमारी यात्रा अभी राष्ट्रीय राजमार्ग से ही हो रही थी किन्तु सड़क खराब होने के कारण बस की गति अपेक्षानुरूप नही थीं। हम लोग मुरादाबाद, रामपुर होते हुए करीब 2.00 बजे नवगठित उत्तराचंल के कुमाऊ हिल्स के छोटे से शहर काठ गोदाम पहुंचे। यह शहर हिमालय के तराई में स्थित है जो कि रेल मार्ग का अंतिम छोर है। रास्ते से ही बारिश हो रही थी। अगले पड़ाव पर पहुंचते समय तेज बारिश होने लगी। हम सब कुमाऊ विकास मण्डल निगम के गेस्ट हाऊस में भागते एवं भीगते हुए पहुंचे । गेस्ट हाऊस पहुंचने पर यात्रियों का स्वागत निगम की ओर से किया गया, तत्-पश्चात सभी यात्रियों ने यहां गरमागरम भोजन प्राप्त किए।

यात्रा कार्यक्रम के अनुसार हमें काठ गोदाम से 20 किमी दूरी पर स्थित भीमताल नामक स्थान में जाकर रूकना था। किन्तु उसमें संशोधन कर निगम द्वारा हमें अल्मोड़ा मे रूकवाने का व्यवस्था की गयी। पुन: बस के पास आकर दिल्ली से आए बस से लगेज उतारकर कुमाऊ विकास मण्डल निगम के दो मिनी बस में चढ़ाए गए। उसके पश्चात हम लोग अल्मोड़ा के लिए लगभग 4.00 बजे सायं को रवाना हुए। पहाड़ी रास्ता एवं शाम होने के वजह से हम लोग रात्रि 10.00 बजे अल्मोड़ा पहुंचे। पहाड़ी पर स्थित के.वी.एम.एन. के गेस्ट हाऊस में सभी यात्रियों को रूकवाया गया व हम सभी यात्रियों का चाय से स्वागत किया गया । इस बीच सभी यात्री एक दूसरे के स्वभाव से परिचित होते रहे। इसलिए बस से सामान उतारने में एक दूसरे का सहयोग करते रहे।
अल्मोड़ा गेस्ट हाऊस के एक कमरे में मैं और अहमदाबाद के यात्री श्री राजनारायण मस्करा रूके, चूंकि यह कमरा तीन बेड वाला था इसलिए दिल्ली के एक अन्य यात्री जिनका नाम राकेश जुनेजा है वे भी हमारे साथ आकर रूके। श्री जुनेजा जी की कैलाश मानसरोवर की यह दूसरी यात्रा थी। इसलिए हम लोगों ने उनसे उनके साथ उनकी पुरानी यात्रा का अनुभव शेयर किये। रात्रि के भोजन 10.30 बजे हुए सभी यात्री एक साथ एकत्रित हुए वही लाइजनिंग ऑंफिसर द्वारा हमें बता दिया गया कि कल की यात्रा प्रात: 5.00 बजे से प्रारंभ होगी, अत: सभी यात्री प्रात: 4.30 बजे तैयार होकर सामान सहित काऊण्टर के पास आ जाए। पहाड़ी स्थान होने तथा रात्रि में पानी गिरने से मौसम काफी ठण्डा हो चला था। बिस्तर के साथ गरम कम्बल की व्यवस्था होने से रात्रि मे ठण्डी नही लगी, बातचीत करते-करते नींद आ गई।
क्रमश: अगली कडि़यों में .....
डी.पी.तिवारी
Haardik Shubhkaamnaayen.
ReplyDeleteवैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।
Adraneeya tiwari ji sadar namskaar
ReplyDeletekailash maansarovar ki safal yatra ke liye aapko sadhuwad
yatra ko bade sahaj shabdon mai pirone ke liye abhinand
bam bam bhole.................
'ओम नम: शिवाय' ........
ReplyDeleteread this www.happyhindi.com
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