सोलहवें दिन की यात्रा दुलर्भ क्षणों की अनुभूति : 03.08.2008

03.08.2008 श्रावण सुदी 2 रविवार

Photobucketकल रात्रि भोजन के समय यात्रियों के बीच चर्चा हुई कि ब्रम्ह मुहुर्त में देवता तथा ऋषिगण विभिन्न स्वरूपों में मानसरोवर में स्नान करने आते है। इसलिए इस दुलर्भ क्षण का दर्शन यात्रियों को करना चाहिएं यही चर्चा हम लोग अपने कक्ष मे किए एवं तय हुआ कि 2.30-3.00 बजे रात्रि में जागकर मानसरोवर के किनारे हम लोग जाएगे, जिनकी नींद पहली खुलेगी वे अन्य लोगों को उठाएगें।


रात्रि लगभग 2.30 बजे मुझे भी चर्चा अनुसार मेरे कक्ष के सहयात्रियों द्वारा जगाया गया। मैं झटपट गरम कपड़े पहनकर तैयार हो गया फिर हम लोग भी टार्च लेकर गेस्ट हाऊस के बाहर आकर मानसरोवर के किनारे बने गोम्फा के पास आकर बैठ गए, हमसे पहले भी कुछ और यात्री यहां पर आ चुके थे। चारो तरफ अंधेरा, किन्तु आकाश में तारे टिमटिमाते हुए, हवा अत्यधिक ठण्डी एवं तेज बहती हुई, सुनसान वातावरण में गहरी शांति के बीच एकटक सामने मानसरोवर को निहारते हुए बैठे रहे। कुछ यात्री आपस में खुसुर-फुसुर भी करते रहे। लगभग 3.30 बजे आसमान से दो सितारे एक साथ आते हुए एवं मानसरोवर के जल में समाते हुए दिखाई दिये। सभी यात्रीगण सचेत होकर उसको देखे। उस घटना के बाद आधा घंटा तक मैं और वही पर बैठा रहा फिर 4.00 बजे वापस आकर सो गया।

Photobucketआज यही रूकना है इसलिए सबेरे 7.00 बजे सोकर उठा, हल्की धूप निकली हुई किन्तु ठण्डी पूर्ववत ही। नित्य क्रिया से निवृत हो चाय पीने डायनिंग (किचन) में गया, वहां आज नाश्ते में उपमा बना है। बंगलोर के यात्री श्रीमति शास्त्री द्वारा मेरे नाश्ते के लिए बिना प्याज वाला उपमा पृथक से तैयार किया गया था, जिसे उनके द्वारा दिया गया, नाश्ता किया, यात्रीगण तैयार होकर आते जा रहे थे, और उपमा का नाश्ता कर रहे थे। नाश्ता उपरांत चाय दिया गया। 9.00 बजे कुछ यात्रियों के साथ मानसरोवर के किनारे-किनारे काफी दूर तक पैदल गया, अन्य यात्रीगण भी पैदल मानसरोवर के किनारे चले जा रहे थे, बहुत दूर से कैलाश पर्वत कोहरे में ढंका हुआ दिखाई दे रहा था, मानसरोवर के पानी में सूर्य प्रकाश जैसे पड़ रहा था, वैसे-वैसे पानी का रंग हरा, काला, सफेद दिखाई दे रहा था। काफी दूर आगे जाने के बाद वापस हुए तब तक धूप कुछ तेज हो गया था एवं चलने से शरीर में गर्मी आ गई थी इसलिए किनारे में एक जगह रूककर मानसरोवर में स्नान किया। स्नान कर वापस गेस्ट हाऊस आया तब तक भोजन तैयार हो गया था दोपहर के भोजन में आज चांवल, पत्ता गोभी बनाया गया हैं भोजन किया थोड़ी देर धूप में ईधर-उधर टहलकर बिस्तर में आकर लेट गया। यात्रीगण आज आराम के मूड में थे। इसलिए कुछ लोग अभी स्नान करने जा रहे थे।

अपरान्ह 3.00 बजे गेस्ट हाऊस के बाहर गोम्फा के पास मानसरोवर के किनारे हवन पूजा का आयोजन गुजरात के यात्रियों द्वारा किया गया, उक्त हवन कार्यक्रम में हम सभी यात्री शामिल हुए। पूजन एवं हवन सामग्री पोरबंदर (गुजरात) के यात्री श्री अशोक भाई साथ में लेकर आए थे, पूजन का कार्य श्री प्रजापति द्वारा सम्पन्न कराया गया। सभी यात्री हवन में आहूति दिए। पूजन हवन लगभग 6.00 बजे समाप्त हुआ तदुपरांत सभी यात्रियों को प्रसाद के साथ चांदी के बने बेलपत्र दिया गया। आज रात्रि भोजन में केवल आलू भजिया व सूजी का हलवा तैयार किया गया है। शाम को जनरेटर चालू होने के बाद सभी यात्री आलू भजिया व सूजी का हलवा खाए। रात्रि में कमरे में सोने के समय पुनः ब्रम्हमुहुर्त में उठने का कार्यक्रम बनाए एवं सो गए।

क्रमश: .....

डी.पी.तिवारी,
रायपुर

1 comment:

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