08.08.2008 श्रावण सुदी 7 शुक्रवार
कल रात में ही डिनर के समय सभी यात्रियों को बताया गया कि आज 7.00 से 7.30 बजे चीन सीमा पार करना है इसलिए गेस्ट हाऊस से बस द्वारा 5.30 बजे सुबह रवाना होगें, इसलिए अपना सामान प्रातः 4.00 बजे ही गेस्ट हाऊस के काऊण्टर के पास पहुंचाए। उसी के अनुरूप हम लोग प्रातः जल्दी उठ गए। श्री राजनारायणजी स्नान किए मैं नही नहाया, तैयार होकर अपना-अपना सामान काऊण्टर के पास लाकर छोड़ दिए जिसे बस मे चढ़ाया गया , उसके बाद 5.00 बजे जाकर नाश्ता लेकर चाय पिए। ठीक 5.30 बजे सुबह (चीनी समय 8.00 बजे सुबह) हमारी बस ‘‘ओम नमः शिवाय‘‘ के उद्घोष के साथ गेस्ट हाऊस से बार्डर के लिए रवाना हुई रास्तें मे सेना कैम्प के बेरियर पर रूककर आवश्यक औपचारिकता पूर्ण कर पुनः आगे बढ़ी, बस यात्रा केवल 13 कि.मी. तक ही संभव हो पाया क्योकि इसके आगे सड़क ही नही हैं आगे केवल पहाड़ी चढ़ाई एवं पगडण्डी है। रिमझिम पानी गिरना प्रारंभ हो गया। बस से उतरते ही हमें वहां पर घोड़ा उपलब्ध कराया गया सभी यात्री घोड़े पर बैठकर आगे लिपुलेखपास की ओर रवाना हुए। हल्की बुंदाबादी होने तथा हवा चलने से ठण्ड और बढ़ गई। पहाड़ी रास्ते में पानी की रिमझिम फुहारों एवं ठण्डी में आगे चढ़ते गए कई स्थानो पर रास्तें मे बर्फ जमने के कारण बर्फीली रास्ता भी पार करते हुए लगभग 7.00 बजे लिपुलेखपास (भारत चीन सीमा) पहुंच गए। चीनी सेना के जवान तथा कुछ अधिकारी वहां पर पहले से एक तरफ खडे़ थे तथा दूसरी तरफ भारत तिब्बत सीमा पुलिस के जवान व अधिकारी थे। वीजा स्वीकृति पत्र में क्रम से यात्रियों के नाम लिखे हुए थे उसी क्रम से हमें नाम से वहां पर पुकारा जा रहा था। उस सूची में मेरा नाम 10वें क्रम में था, मेरा क्रम आने पर मुझे भी पुकारा गया, मैं वहां पहुंचा, मेरा पासपोर्ट चीनी अधिकारियों द्वारा मुझे वापस किया गया। एक अन्य अधिकारी द्वारा चीनी रेशमी दुपट्टा मेरे गले में डालकर ओम नमः शिवाय कहकर हाथ मिलाया गया, पश्चात मैं भारत सीमा में प्रवेश किया। पानी लगातार गिर ही रहा था। अतः तत्काल पासपोर्ट व रेशमी दुपट्टा को बैग में डालकर ओम नमः शिवाय कह आगे बढ़ गया। लिपुलेखपास (सीमा) से भारत की ओर पहाड़ी में नीचे की ओर पगडण्डी से आया वहां पर मेरा भारतीय पोर्टर नवीढ़ांग से आते हुआ मिला उसे बैग सौंपा फिर थोड़ी देर आगे चलने के बाद मेरा भारतीय पोनी घोड़े सहित मिला वहीं से घोड़े में बैठकर मैं नवीढ़ांग जाने के लिए पहाड़ी उतरने लगा। पानी गिरना बंद हो गया हल्की धूप निकल आयी थोड़ी ठण्ड भी कम हो गई इसके अलावा हम अपने वतन में सकुशल लौट आए इस सबकी विशेष अनुभूति हद्य में हुई। मैं 9.15 बजे सुबह नवीढ़ांग कैम्प पहुंच गया कुछ यात्री भी पहुंच चुके थे तथा शेष लगातार आ ही रहे थे। आज यात्रियों के रूकने का कार्यक्रम कालापानी कैम्प में है इसलिए यात्रियों के दोपहर का भोजन कुमाऊ मण्डल विकास निगम द्वारा नवीढ़ग में निर्धारित किया गया है।
क्रमश: .....
डी.पी.तिवारी
रायपुर
great journey! i'll go there if God willing !
ReplyDeletemaza aa gaya
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